किसी की आस पे जीनें में क्या रखा है
किसी को दर्द-ए-दिल सुनाने में क्या रखा है
अब तो आदत सी पड़ गइ है उदास रहने की
वरना उदास रहने में क्या रखा है
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किसी की आस पे जीनें में क्या रखा है
किसी को दर्द-ए-दिल सुनाने में क्या रखा है
अब तो आदत सी पड़ गइ है उदास रहने की
वरना उदास रहने में क्या रखा है
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