कैसे बयान करे अब आलम दिल की बेबसी का; वो क्या समझे दर्द इन आंखों की नमी का; चाहने वाले उनके इतने हो गए हैं कि; अब एहसास ही नहीं उन्हें हमारी कमी का।
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कैसे बयान करे अब आलम दिल की बेबसी का; वो क्या समझे दर्द इन आंखों की नमी का; चाहने वाले उनके इतने हो गए हैं कि; अब एहसास ही नहीं उन्हें हमारी कमी का।
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