जब तक अपने दिल में उनका गम रहा; हसरतों का रात दिन मातम रहा; हिज्र में दिल का ना था साथी कोई; दर्द उठ-उठ कर शरीक-ए-गम रहा।
Like (0) Dislike (0)
जब तक अपने दिल में उनका गम रहा; हसरतों का रात दिन मातम रहा; हिज्र में दिल का ना था साथी कोई; दर्द उठ-उठ कर शरीक-ए-गम रहा।
Your Comment