जाये है जी नजात के ग़म में; ऐसी जन्नत गयी जहन्नुम में; आप में हम नहीं तो क्या है अज़ब; दूर उससे रहा है क्या हम में; बेखुदी पर न मीर की जाओ; तुमने देखा है और आलम में।
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जाये है जी नजात के ग़म में; ऐसी जन्नत गयी जहन्नुम में; आप में हम नहीं तो क्या है अज़ब; दूर उससे रहा है क्या हम में; बेखुदी पर न मीर की जाओ; तुमने देखा है और आलम में।
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