दुनिया है पत्थर की जज़्बात नहीं समझती; दिल में जो छुपी है वो बात नहीं समझती; चाँद तनहा है तारो की इस बारात में; दर्द मगर चाँद का ज़ालिम यह रात नहीं समझती।
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दुनिया है पत्थर की जज़्बात नहीं समझती; दिल में जो छुपी है वो बात नहीं समझती; चाँद तनहा है तारो की इस बारात में; दर्द मगर चाँद का ज़ालिम यह रात नहीं समझती।
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