फुर्सत किसे है ज़ख्मों को सरहाने की; निगाहें बदल जाती हैं अपने बेगानों की; तुम भी छोड़कर चले गए हमें; अब तम्मना न रही किसी से दिल लगाने की।
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फुर्सत किसे है ज़ख्मों को सरहाने की; निगाहें बदल जाती हैं अपने बेगानों की; तुम भी छोड़कर चले गए हमें; अब तम्मना न रही किसी से दिल लगाने की।
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