महफ़िल में हँसना मेरा मिज़ाज़ बन गया; तन्हाई में रोना एक राज़ बन गया; दिल के दर्द को चेहरे से ज़ाहिर न होने दिया; यही मेरे जीने का अंदाज़ बन गया।
Like (0) Dislike (1)
महफ़िल में हँसना मेरा मिज़ाज़ बन गया; तन्हाई में रोना एक राज़ बन गया; दिल के दर्द को चेहरे से ज़ाहिर न होने दिया; यही मेरे जीने का अंदाज़ बन गया।
Your Comment