माना तू हमें भरी महफ़िल में बदनाम करती हैं
पर तुझे शायद अंदाज़ा नहीं हमारी औकात का
वो लोग भी हमारे पैर छुते हैं जिन्हें तू भरी महफ़िल में सलाम करती है
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माना तू हमें भरी महफ़िल में बदनाम करती हैं
पर तुझे शायद अंदाज़ा नहीं हमारी औकात का
वो लोग भी हमारे पैर छुते हैं जिन्हें तू भरी महफ़िल में सलाम करती है
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