हर ज़ख़्म किसी ठोकर की मेहरबानी है; मेरी ज़िंदगी की बस यही एक कहानी है; मिटा देते सनम के हर दर्द को सीने से; पर ये दर्द ही तो उसकी आखिरी निशानी है।
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हर ज़ख़्म किसी ठोकर की मेहरबानी है; मेरी ज़िंदगी की बस यही एक कहानी है; मिटा देते सनम के हर दर्द को सीने से; पर ये दर्द ही तो उसकी आखिरी निशानी है।
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