अपनी तक़दीर में तो कुछ ऐसे ही सिलसिले लिखे हैं; किसी ने वक़्त गुज़ारने के लिए दोस्ती कर ली; तो किसी ने दोस्ती कर के वक़्त गुज़ार लिया।
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अपनी तक़दीर में तो कुछ ऐसे ही सिलसिले लिखे हैं; किसी ने वक़्त गुज़ारने के लिए दोस्ती कर ली; तो किसी ने दोस्ती कर के वक़्त गुज़ार लिया।
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