अब ना मैं हूँ ना बाकी हैं ज़माने मेरे; फिर भी मशहूर हैं शहरों में फ़साने मेरे; ज़िन्दगी है तो नए ज़ख्म भी लग जाएंगे; अब भी बाकी हैं कई दोस्त पुराने मेरे।
Like (3) Dislike (0)
अब ना मैं हूँ ना बाकी हैं ज़माने मेरे; फिर भी मशहूर हैं शहरों में फ़साने मेरे; ज़िन्दगी है तो नए ज़ख्म भी लग जाएंगे; अब भी बाकी हैं कई दोस्त पुराने मेरे।
Your Comment