एहसास-ए-आरज़ू को दिल से मिटा न सकोगे; भूलना चाहो हमें भुला न सकोगे; ये चिराग़-ए-दोस्ती दिल से जलाया हैं हमनें; जल जाओगे मगर इसे बुझा ना सकोगे!
Like (0) Dislike (0)
एहसास-ए-आरज़ू को दिल से मिटा न सकोगे; भूलना चाहो हमें भुला न सकोगे; ये चिराग़-ए-दोस्ती दिल से जलाया हैं हमनें; जल जाओगे मगर इसे बुझा ना सकोगे!
Your Comment