तन्हा था इस दुनिया की भीड़ में;सोचा था कोई नहीं है मेरी तक़दीर में; एक दिन फिर तुमने थाम लिया हाथ मेरा;फिर लगा कि बहुत ख़ास था इस हाथ की लकीर में।
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तन्हा था इस दुनिया की भीड़ में;सोचा था कोई नहीं है मेरी तक़दीर में; एक दिन फिर तुमने थाम लिया हाथ मेरा;फिर लगा कि बहुत ख़ास था इस हाथ की लकीर में।
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