इश्क़ को तक़लीद से... इश्क़ को तक़लीद से आज़ाद कर; दिल से गिरया आँख से फ़रियाद कर; बाज़ आ ऐ बंदा-ए-हुस्न मिज़ाज़; यूँ न अपनी ज़िंदगी बर्बाद कर; ऐ ख़यालों के मकीं नज़रों से दूर; मेरी वीराँ ख़ल्वतें आबाद कर; हुस्न को दुनिया की आँखों से न देख; अपनी इक तर्ज़-ए-नज़र ईजाद कर; इशरत-ए-दुनिया है इक ख़्वाब-ए-बहार; काबा-ए-दिल दर्द से आबाद कर; अब कहाँ एहसान दुनिया में वफ़ा; तौबा कर नादाँ ख़ुदा को याद कर।

Your Comment Comment Head Icon

Login