उसके पहलू से... उसके पहलू से लग के चलते हैं; हम कहीं टालने से टलते हैं; मै उसी तरह तो बहलता हूँ; और सब जिस तरह बहलतें हैं; वो है जान अब हर एक महफ़िल की; हम भी अब घर से कम निकलते हैं; क्या तकल्लुफ्फ़ करें ये कहने में; जो भी खुश है हम उससे जलते हैं।

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