ऐ दिल वो आशिक़ी के फ़साने... ऐ दिल वो आशिक़ी के फ़साने किधर गए; वो उम्र क्या हुई वो ज़माने किधर गए; वीरान है सहन ओ बाग़ बहारों को क्या हुआ; वो बुलबुलें कहाँ वो तराने किधर गए; है नज्द में सुकूत हवाओं को क्या हुआ; लैलाएँ हैं ख़मोश दीवाने किधर गए; उजड़े पड़े हैं दश्त ग़ज़ालों पे क्या बनी; सूने हैं कोह-सार दीवाने किधर गए; वो हिज्र में विसल की उम्मीद क्या हुई; वो रंज में ख़ुशी के बहाने किधर गए; दिन रात मयकदे में गुज़रती थी ज़िन्दगी; अख़्तर वो बे-ख़ुदी के ज़माने किधर गए।

Your Comment Comment Head Icon

Login