कभी अकेले में मिल...कभी अकेले में मिल कर झंझोड़ दूंगा उसे;जहाँ-जहाँ से वो टूटा है जोड़ दूंगा उसे;मुझे छोड़ गया ये कमाल है उस का;इरादा मैंने किया था के छोड़ दूंगा उसे;पसीने बांटता फिरता है हर तरफ सूरज;कभी जो हाथ लगा तो निचोड़ दूंगा उसे;मज़ा चखा के ही माना हूँ मैं भी दुनिया को;समझ रही थी के ऐसे ही छोड़ दूंगा उसे;बचा के रखता है खुद को वो मुझ से शीशाबदन;उसे ये डर है के तोड़-फोड़ दूंगा उसे।
Like (0) Dislike (0)
Your Comment