कभी अकेले में मिल...​कभी अकेले में मिल कर झंझोड़ दूंगा उसे​;​जहाँ​-​जहाँ से वो टूटा है​ ​जोड़ दूंगा उसे;​​​​​​मुझे छोड़ गया ​ ​ये कमाल है​ ​उस का​;​इरादा मैंने किया था के छोड़ दूंगा उसे​;​पसीने बांटता फिरता है हर तरफ सूरज​;​कभी जो हाथ लगा तो निचोड़ दूंगा उसे​;​​मज़ा चखा के ही माना हूँ ​मैं भी दुनिया को​;​समझ रही थी के ऐसे ही ​छोड़ दूंगा उसे​;​​बचा के रखता है​ खुद को वो मुझ से शीशाबदन​;​उसे ये डर है के तोड़​-​फोड़ दूंगा उसे​।

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