कितनी पी कैसे कटी रात... कितनी पी कैसे कटी रात मुझे होश नहीं; रात के साथ गई बात मुझे होश नहीं; मुझको ये भी नहीं मालूम कि जाना है कहाँ; थाम ले कोई मेरा हाथ मुझे होश नहीं; आँसुओं और शराबों में गुजारी है हयात; मैं ने कब देखी थी बरसात मुझे होश नहीं; जाने क्या टूटा है पैमाना कि दिल है मेरा; बिखरे-बिखरे हैं खयालात मुझे होश नहीं।

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