किसी बे दर्द ने... किसी बे दर्द ने यूँ मेरा दिल तोड़ दिया; मेरी आदत बिगाड़ कर साथ छोड़ दिया; हद तो देखो उसके दिलकश फरेब की; मंज़िल दिखा कर राह को मोड़ दिया; पुराने ज़ख्म छेड़ देती है हर रात; उसने हर दिन नया एक गम जोड़ दिया; महल ​अरमानों का मुश्किल से बना; उसने हर लम्हा एक शीशा तोड़ दिया; बेवफा दुनियाँ से ताज कभी नहीं हारी; मगर तूने मेरी रूह तक को झिंझोड़ दिया।

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