कुछ दिन से इंतज़ारे... कुछ दिन से इंतज़ारे-सवाले-दिगर में है; वह मुज़्महिल हया जो किसी की नज़र में है; सीखी यहीं मिरे दिले-काफ़िर ने बंदगी; रब्बे-करीम है तो तेरी रहगुज़र में है; माज़ी में जो मज़ा मेरी शामो-सहर में था; अब वह फ़क़त तसव्वुरे-शामो-सहर में है; क्या जाने किसको किससे है अब दाद की तलब; वह ग़म जो मेरे दिल में है तेरी नज़र में है।

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