कुछ हिज्र के मौसम... कुछ हिज्र के मौसम ने सताया नहीं इतना; कुछ हम ने तेरा सोग मनाया नहीं इतना; कुछ तेरी जुदाई की अज़िय्यत भी कड़ी थी; कुछ दिल ने भी ग़म तेरा मनाया नहीं इतना; क्यों सब की तरह भीग गई हैं तेरी पलकें; हम ने तो तुझे हाल सुनाया नहीं इतना; कुछ रोज़ से दिल ने तेरी राहें नहीं देखीं; क्या बात है तू याद भी आया नहीं इतना; क्या जानिए इस बे-सर-ओ-सामानी-ए-दिल ने; पहले तो कभी हम को रुलाया नहीं इतना।

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