कोई हँस रहा है... कोई हँस रहा है कोई रो रहा है; कोई पा रहा है कोई खो रहा है; कोई ताक में है किसी को है गफ़लत; कोई जागता है कोई सो रहा है; कहीँ नाउम्मीदी ने बिजली गिराई; कोई बीज उम्मीद के बो रहा है; इसी सोच में मैं तो रहता हूँ अकबर ; यह क्या हो रहा है यह क्यों हो रहा है

Your Comment Comment Head Icon

Login