क्या बताऊं कैसा खुद को... क्या बताऊं कैसा खुद को दर-ब-दर मैंने किया; उम्र भर किस-किस के हिस्से का सफ़र मैंने किया; तू तो नफरत भी न कर पायेगा इस शिद्दत के साथ; जिस बला का प्यार तुझसे बेखबर मैंने किया; कैसे बच्चों को बताऊं रास्तों के पेचो-ख़म; ज़िंदगी भर तो किताबों का सफ़र मैंने किया; शोहरतों कि नज्र कर दी शेर की मासूमियत; उस दिये की रौशनी को दर-ब-दर मैंने किया; चाँद जज्बाती से रिश्ते को बचाने को वसीम ; कैसा-कैसा जब्र अपने आप पर मैंने किया।

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