खुलता नहीं है हाल... खुलता नहीं है हाल किसी पर कहे बग़ैर; पर दिल की जान लेते हैं दिलबर कहे बग़ैर; मैं कैसे कहूँ तुम आओ कि दिल की कशिश से वो; आयेँगे दौड़े आप मेरे घर कहे बग़ैर; क्या ताब क्या मजाल हमारी कि बोसा लें; लब को तुम्हारे लब से मिलाकर कहे बग़ैर; बेदर्द तू सुने ना सुने लेक दर्द-ए-दिल; रहता नहीं है आशिक़-ए-मुज़तर कहे बग़ैर; तकदीर के सिवा नहीं मिलता कहीं से भी; दिलवाता ऐ ज़फ़र है मुक़द्दर कहे बग़ैर।

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