खुली आँखों में सपना... खुली आँखों में सपना जागता है; वो सोया है कि कुछ कुछ जागता है; तेरी चाहत के भीगे जंगलों में; मेरा तन मोर बन के नाचता है; मुझे हर कैफ़ियत में क्यों न समझे; वो मेरे सब हवाले जानता है; किसी के ध्यान में डूबा हुआ दिल; बहाने से मुझे भी टालता है; सड़क को छोड़ कर चलना पड़ेगा; कि मेरे घर का कच्चा रास्ता है।
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