झूठा निकला क़रार तेरा; अब किसको है ऐतबार तेरा; दिल में सौ लाख चुटकियाँ लीं; देखा बस हम ने प्यार तेरा; दम नाक में आ रहा था अपने; था रात ये इंतिज़ार तेरा; कर ज़बर जहाँ तलक़ तू चाहे; मेरा क्या इख्तियार तेरा; लिपटूँ हूँ गले से आप अपने; समझूँ कि है किनार तेरा; इंशा से मत रूठ खफा हो; है बंदा जानिसार तेरा।

Your Comment Comment Head Icon

Login