टूटी है मेरी नींद... टूटी है मेरी नींद मगर तुमको इससे क्या; बजते रहें हवाओं से दर तुमको इससे क्या; तुम मौज-मौज मिस्ल-ए-सबा घूमते रहो; कट जाएँ मेरी सोच के पर तुमको इससे क्या; औरों का हाथ थामो उन्हें रास्ता दिखाओ; मैं भूल जाऊँ अपना ही घर तुमको इससे क्या; अब्र-ए-गुरेज़-पा को बरसने से क्या ग़रज़; सीपी में बन न पाए गुहर तुमको इससे क्या; ले जाएँ मुझको माल-ए-ग़नीमत के साथ उदू; तुमने तो डाल दी है सिपर तुमको इससे क्या; तुमने तो थक के दश्त में ख़ेमे लगा लिए; तन्हा कटे किसी का सफ़र तुमको इससे क्या।

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