तप कर गमों की आग में तप कर गमों की आग में कुंदन बने हैं हम; खुशबू उड़ा रहा दिल चंदन से सने हैं हम; रब का पयाम ले कर अंबर पे छा गए; बिखरा रहे खुशी जग बादल घने हैं हम; सच की पकड़ के बाँह ही चलते रहे सदा; कितने बने रकीब हैं फ़िर भी तने हैं हम; छुप कर करो न घात रे बाली नहीं हूँ मैं; हमला करो कि अस्त्र बिना सामने हैं हम; खोये किसी की याद में मदहोश है किया; छेड़ो न साज़ दिल के हुए अनमने हैं हम।

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