तेरा चेहरा सुब्ह का तारा लगता है; सुब्ह का तारा कितना प्यारा लगता है; तुम से मिल कर इमली मीठी लगती है; तुम से बिछड़ कर शहद भी खारा लगता है; रात हमारे साथ तू जागा करता है; चाँद बता तू कौन हमारा लगता है; किस को खबर ये कितनी कयामत ढाता है; ये लड़का जो इतना बेचारा लगता है; तितली चमन में फूल से लिपटी रहती है; फिर भी चमन में फूल कँवारा लगता है; कैफ वो कल का कैफ कहाँ है आज मियाँ; ये तो कोई वक्त का मारा लगता है।

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