तेरी उम्मीद तेरा इंतज़ार... तेरी उम्मीद तेरा इंतज़ार जब से है; न शब को दिन से शिकायत न दिन को शब से है; किसी का दर्द हो करते हैं तेरे नाम रक़म; गिला है जो भी किसी से तेरी सबब से है; हुआ है जब से दिल-ए-नासबूर बेक़ाबू; कलाम तुझसे नज़र को बड़ी अदब से है; अगर शरर है तो भड़के जो फूल है तो खिले; तरह तरह की तलब तेरे रंग-ए-लब से है; कहाँ गये शब-ए-फ़ुरक़त के जागने वाले; सितारा-ए-सहर हम-कलाम कब से है।

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