तेरी महफ़िल में यह कसरत कभी थी; हमारे रंग की सोहबत कभी थी; इस आज़ादी में वहशत कभी थी; मुझे अपने से भी नफ़रत कभी थी; हमारा दिल हमारा दिल कभी था; तेरी सूरत तेरी सूरत कभी थी; हुआ इन्सान की आँखों से साबित; अयाँ कब नूर में जुल्मत कभी थी; दिल-ए-वीराँ में बाक़ी हैं ये आसार; यहाँ ग़म था यहाँ हसरत कभी थी; तुम इतराए कि बस मरने लगा दाग़ ; बनावट थी जो वह हालत कभी थी।

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