तेरे दर से उठकर... तेरे दर से उठकर जिधर जाऊं मैं; चलूँ दो कदम और ठहर जाऊं मैं; अगर तू ख़फा हो तो परवाह नहीं; तेरा गम ख़फा हो तो मर जाऊं मैं; तब्बसुम ने इतना डसा है मुझे; कली मुस्कुराए तो डर जाऊं मैं; सम्भाले तो हूँ खुदको तुझ बिन मगर; जो छू ले कोई तो बिखर जाऊं मैं।

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