तेरे लिए चलते थे... तेरे लिए चलते थे हम तेरे लिए ठहर गए; तू ने कहा तो जी उठे तू ने कहा तो मर गए; वक़्त ही जुदाई का इतना तवील हो गया; दिल में तेरे विसाल के जितने थे ज़ख़्म भर गए; होता रहा मुक़ाबला पानी का और प्यास का; सहरा उमड़ उमड़ पड़े दरिया बिफर बिफर गए; वो भी ग़ुबार-ए-ख़्वाब था हम ग़ुबार-ए-ख़्वाब थे; वो भी कहीं बिखर गया हम भी कहीं बिखर गए; आज भी इंतज़ार का वक़्त हुनूत हो गया; ऐसा लगा के हश्र तक सारे ही पल ठहर गए; इतने क़रीब हो गए अपने रक़ीब हो गए; वो भी अदीम डर गया हम भी अदीम डर गए।

Your Comment Comment Head Icon

Login