थे कल जो अपने... थे कल जो अपने घर में वो मेहमाँ कहाँ हैं; जो खो गये हैं या रब वो औसाँ कहाँ हैं; आँखों में रोते रोते नम भी नहीं अब तो; थे मौजज़न जो पहले वो तूफ़ाँ कहाँ हैं; कुछ और ढब अब तो हमें लोग देखते हैं; पहले जो ऐ ज़फ़र थे वो इन्साँ कहाँ है।

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