दिल में अब यूँ​...​​ ​दिल में अब यूँ तेरे भूले हुये ग़म आते है;​ जैसे बिछड़े हुये काबे में सनम आते है​;​​ रक़्स-ए-मय तेज़ करो साज़ की लय तेज़ करो​;​ सू-ए-मैख़ाना सफ़ीरान-ए-हरम आते है​;​​ और कुछ देर न गुज़रे शब-ए-फ़ुर्क़त से कहो ​;​ दिल भी कम दुखता है वो याद भी कम आते है​;​​ इक इक कर के हुये जाते हैं तारे रौशन ​;​ मेरी मन्ज़िल की तरफ़ तेरे क़दम आते है​;​​ कुछ हमीं को नहीं एहसान उठाने का दिमाग;​ वो तो जब आते हैं माइल-ब-करम आते है। ​

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