दिल मेरा जिस से... दिल मेरा जिस से बहलता कोई ऐसा न मिला; बुत के बन्दे तो मिले अल्लाह का बन्दा न मिला; बज़्म-ए-याराँ से फिरी बाद-ए-बहारी मायूस; एक सर भी उसे आमादा-ए-सौदा न मिला; गुल के ख़्वाहाँ तो नज़र आये बहुत इत्रफ़रोश; तालिब-ए-ज़मज़म-ए-बुलबुल-ए-शैदा न मिला; वाह क्या राह दिखाई हमें मुर्शद ने; कर दिया काबे को गुम और कलीसा न मिला; सय्यद उट्ठे जो गज़ट ले के तो लाखों लाये; शैख़ क़ुरान दिखाता फिरा पैसा न मिला।

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