दिल-ए-नादाँ तुझे... दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है; आख़िर इस दर्द की दवा क्या है; हमकों उनसे वफ़ा की है उम्मीद; जो नहीं जानते वफ़ा क्या है;; हम हैं मुश्ताक़ और वो बेज़ार; या इलाही ये माज़रा क्या है; जब कि तुझ बिन नहीं कोई मौजूद; फिर ये हंगामा ऐ ख़ुदा क्या है; जान तुम पर निसार करता हूँ; मैं नहीं जानता दुआ क्या है।

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