नसीब आज़माने के दिन... नसीब आज़माने के दिन आ रहे हैं; क़रीब उन के आने के दिन आ रहे हैं; जो दिल से कहा है जो दिल से सुना है; सब उनको सुनाने के दिन आ रहे हैं; अभी से दिल-ओ-जाँ सर-ए-राह रख दो; कि लुटने-लुटाने के दिन आ रहे हैं; टपकने लगी उन निगाहों से मस्ती; निगाहें चुराने के दिन आ रहे हैं; सबा फिर हमें पूछती फिर रही है; चमन को सजाने के दिन आ रहे हैं; चलो फ़ैज़ फिर से कहीं दिल लगायें; सुना है ठिकाने के दिन आ रहे हैं।

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