पहले सौ बार... पहले सौ बार इधर और उधर देखा है; तब कहीं डर के तुम्हें एक नज़र देखा है; हम पे हँसती है जो दुनियाँ उसे देखा ही नहीं; हम ने उस शोख को अए दीदा-ए-तर देखा है; आज इस एक नज़र पर मुझे मर जाने दो; उस ने लोगों बड़ी मुश्किल से इधर देखा है; क्या ग़लत है जो मैं दीवाना हुआ सच कहना; मेरे महबूब को तुम ने भी अगर देखा है।

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