बहुत तारीक सहरा हो गया... बहुत तारीक सहरा हो गया है; हवा का शोर गहरा हो गया है; किसी के लम्स का ये मोजज़ा है; बदन सारा सुनहरा हो गया है; ये दिल देखूँ कि जिस के चार जानिब; तेरी यादों का पहरा हो गया है; वही है ख़ाल-ओ-ख़द में रौशनी सी; पे तिल आँखों का गहरा हो गया है; कभी उस शख़्स को देखा है तुम ने; मोहब्बत से सुनहरा हो गया है।

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