बेवक्त जाऊँगा तो... बेवक्त जाऊँगा तो सब चौंक पडेंगे; इक उम्र हुई दिन में कभी घर नहीं देखा; जिस दिन से चला हूँ मेरी मंजिल पे नज़र है; आँखों ने अभी मील का पत्थर नहीं देखा; ये फूल कोई मुझको विरासत में मिले हैं; तुमने मेरा काँटों भरा बिस्तर नहीं देखा; खत ऐसा लिखा है के नगीने जड़े हैं; वो हाथ के जिसने कभी ज़ेवर नहीं देखा।

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