मिलने को तो ज़िंदगी में...मिलने को तो ज़िंदगी में कईं हमसफ़र मिले;पर उनकी तबियत से अपनी तबियत नही मिली;चेहरों में दूसरों के तुझे ढूंढते रहे दर-ब-दर;सूरत नही मिली तो कहीं सीरत नही मिली;बहुत देर से आया था वो मेरे पास यारों;अल्फाज ढूंढने की भी मोहलत नही मिली;तुझे गिला था कि तवज्जो न मिली तुझे; मगर हमको तो खुद अपनी मुहब्बत नही मिली;हमे तो तेरी हर आदत अच्छी लगी फ़राज़ ;पर अफ़सोस तेरी आदत से मेरी आदत नही मिली।
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