मैं बुरा ही सही भला न सही; पर तेरी कौन सी जफ़ा न सही; दर्द-ए-दिल हम तो उन से कह गुज़रे; गर उन्हों ने नहीं सुना न सही; शब-ए-ग़म में बला से शुग़ल तो है; नाला-ए-दिल मेरा रसा न सही; दिल भी अपना नहीं रहा न रहे; ये भी ऐ चर्ख़-ए-फ़ित्ना-ज़ा न सही; क्यूँ बुरा मानते हो शिकवा मेरा; चलो बे-जा सही ब-जा न सही; उक़दा-ए-दिल हमारा या क़िस्मत; न खुला तुझ से ऐ सबा न सही; वाइज़ो बंद-ए-ख़ुदा तो है ऐश ; हम ने माना वो पारसा न सही।

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