यूं न मिल मुझ से ​...​ यूं न मिल मुझ से ख़फ़ा हो जैसे​;​​ साथ चल मौज-ए-सबा हो जैसे​;​​ लोग यूं देख के हंस देते हैं;​ तू मुझे भूल गया हो जैसे​;​ इश्क़ को शिर्क की हद तक न बढ़ा​;​ यूं न छुप हम से ख़ुदा हो जैसे​;​​​​ मौत भी आई तो इस नाज़ के साथ​;​​ मुझ पे अहसान किया हो जैसे।

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