ये क्या के सब... ये क्या के सब से बयाँ दिल की हालतें करनी; फ़राज़ तुझको न आई मुहब्बतें करनी; ये क़ुर्ब क्या है के तु सामने है और हमें; शुमार अभी से जुदाई की स अतें करनी; कोई ख़ुदा होके पत्थर जिसे भी हम चाहें; तमाम उम्र उसी की इबादतें करनी; सब अपने अपने क़रीने से मुंतज़िर उसके; किसी को शुक्र किसी को शिकायतें करनी; हम अपने दिल से हैं मजबूर और लोगों को; ज़रा सी बात पे बरपा क़यामतें करनी।
Like (0) Dislike (0)
Your Comment