ये क्या के सब... ये क्या के सब से बयाँ दिल की हालतें करनी; ​ फ़राज़​ ​ तुझको न ​​आई मुहब्बतें करनी; ये क़ुर्ब क्या है के ​तु​ सामने है और हमें; शुमार अभी से जुदाई की स अतें करनी; कोई ख़ुदा होके पत्थर जिसे भी हम चाहें; तमाम उम्र उसी की इबादतें करनी; सब अपने अप​ने क़रीने से मुंतज़िर उसके; किसी को शुक्र किसी को शिकायतें करनी; हम अपने दिल से हैं मजबूर और लोगों को; ज़रा सी बात पे बरपा क़यामतें करनी।

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