रस्म-ए-उल्फत... रस्म-ए-उल्फत सिखा गया कोई; दिल की दुनिया पर छा गया कोई; ये क़यामत किसी तरह ना बुझे; आग ऐसी लगा गया कोई; दिल की दुनियाँ उजाड़ सी क्यों है; क्या यहाँ से चला गया कोई; वक़्त-ए-रुख्सत गले लगा कर दाग ; हँसते-हँसते रुला गया कोई।

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