राज़-ए-उल्फत छुपा... राज़-ए-उल्फत छुपा के देख लिया; दिल बहुत जला के देख लिया; और क्या देखने को बाकी है; आपसे दिल लगा के देख लिया; वो मेरे हो के भी मेरे ना हुए; उनको अपना बना के देख लिया; आज उनकी नज़र में कुछ हमने; सबकी नज़र बचा के देख लिया; आस उस दर से टूटती ही नहीं; जा के देखा न जा के देख लिया; फैज़ तक्मील-ए-ग़म भी हो ना सकी; इश्क़ को आज़मा के देख लिया।

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