समुंदर में उतरता हूँ तो आँखें भीग जाती हैं; तिरी आँखों को पढ़ता हूँ तो आँखें भीग जाती हैं; तुम्हारा नाम लिखने की इजाज़त छिन गई जब से; कोई भी लफ़्ज़ लिखता हूँ तो आँखें भीग जाती हैं; तिरी यादों की ख़ुशबू खिड़कियों में रक़्स करती है; तिरे ग़म में सुलगता हूँ तो आँखें भीग जाती हैं; न जाने हो गया हूँ इस क़दर हस्सास मैं कब से; किसी से बात करता हूँ तो आँखें भीग जाती हैं; हज़ारों मौसमों की हुक्मरानी है मिरे दिल पर; वसी मैं जब भी हँसता हूँ तो आँखें भीग जाती हैं।

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