साग़र से लब लगा के... साग़र से लब लगा के बहुत ख़ुश है ज़िन्दगी; सहन-ए-चमन में आके बहुत ख़ुश है ज़िन्दगी; आ जाओ और भी ज़रा नज़दीक जान-ए-मन; तुम को क़रीब पाके बहुत ख़ुश है ज़िन्दगी; होता कोई महल भी तो क्या पूछते हो फिर; बे-वजह मुस्कुरा के बहुत ख़ुश है ज़िन्दगी; साहिल पे भी तो इतनी शगुफ़ता रविश न थी; तूफ़ाँ के बीच आके बहुत ख़ुश है ज़िन्दगी; वीरान दिल है और अदम ज़िन्दगी का रक़्स; जंगल में घर बनाके बहुत ख़ुश है ज़िन्दगी।

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