हमारा दिल सवेरे का... हमारा दिल सवेरे का सुनहरा जाम हो जाए; चिरागों की तरह आँखें जलें जब शाम हो जाए; मैं ख़ुद भी एहतियातन उस गली से कम गुजरता हूँ; कोई मासूम क्यों मेरे लिए बदनाम हो जाए; अजब हालात थे यूँ दिल का सौदा हो गया आख़िर; मोहब्बत की हवेली जिस तरह नीलाम हो जाए; समंदर के सफ़र में इस तरह आवाज़ दो हमको; हवायें तेज़ हों और कश्तियों में शाम हो जाए; मुझे मालूम है उसका ठिकाना फिर कहाँ होगा; परिंदा आस्माँ छूने में जब नाकाम हो जाए; उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो; न जाने किस गली में ज़िंदगी की शाम हो जाए।

Your Comment Comment Head Icon

Login